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Best Hindi Poetry: मैं दिल्ली जाऊंगी
एक बकरी मां से बोली मैं दिल्ली जाऊंगी,
नाचूंगी, गाउंगी और मौज मनाऊंगी।
मां ने कहा, दिल्ली मत जाना,
उसका ध्यान भी मन में मत लाना।
दिल्ली में शासन का राज नहीं है,
घरों में बिजली और दुकानों में अनाज नहीं है।
वहां पानी जैसी चीज बिकती है,
ईमानदारी महंगी और मौत सस्ती है।
यह शहर मक्कारों का है,
झूठे वादों और थोथे नारों का है।
यहां लोग झूठी शान दिखाते हैं,
मौका लगे तो मुर्दे का कफन उतारते हैं।
लोग उधार लेकर नज़रे चुराते हैं,
अनाथ और बेसहारों का माल पचाते हैं।
यहां जगह-जगह ट्रैफिक का झमेला है,
साधुओं में लगा ठगो का मेला है।
यहां राजनेता गुंडो को पुचकारते हैं,
जो निहतों और दुर्बलों को मारते हैं।
हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है,
जिसे छूओ वही थानेदार का साला है।
अच्छा व्यवहार, यह शिष्टाचार बनावटी है,
घी, तेल और दूध जैसी चीज मिलावटी हैं।
देखने में हर इंसान भोला भाला है,
जिसका खून सफेद और मन काला है।
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