पापा और बेटी की दिल छूने वाली कहानी | Heart Touching Story of Father and Daughter in Hindi

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पापा और बेटी की दिल छूने वाली कहानी | Heart Touching Story of Father and Daughter in Hindi

Heart Touching Story: आईसीयू के बाहर पड़े बेंच पर बैठे-बैठे थकावट से अचानक आंख लग गईl किसी ने मेरा कंधा झकझोर कर मुझे उठायाl देखा तो गार्ड मेरा नाम पुकार रहा थाl फटाफट अपने आप को समेटती हुई उसके पास पहुंची- डॉक्टर साहब आपके अंदर बुला रहे हैंl लड़खड़ाते कदमों से मैं अंदर की ओर चल दीl नई जाने चलते हुए टांगे क्यों कांप रही थीl डॉक्टर के गंभीर चेहरे की और देखकर मुझे आभास तो हो ही चला था कि वह क्या कहने वाले हैंl पर इंसान का मन तो हमेशा आशावादी होता हैl

मेरी आशा के विपरीत डॉक्टर ने बताया कि पिताजी की तबीयत बहुत खराब है और अंत निकट ही हैl मेरी नजर अस्पताल के बिस्तर पर लेटे अपने पिताजी की ओर गईl तो उनके चेहरे पर तो ऑक्सीजन मास्क लगा था पर उनकी नज़रें मुझ पर ही थीl मुझे देखकर उन आंखों में एक चमक आ गई थी और आंखों के कोनों से बहते वह आंसू मुझे बहुत कुछ कह रहे थेl मैंने अपना हाथ उनके बुखार से तपते माथे पर रखा और उन्हें आश्वासन दिया कि आप जल्दी ठीक हो जाओगेl चिंता मत करना मैं बाहर ही बैठी हूंl और मैं भरी आंखें लिए आईसीयू से बाहर आ गईl

उनकी आंखों में कितने ही प्रश्न है और उनका सामना करने में मैं अपने आप को असमर्थ पा रही थीl मैं बाहर आकर उदास मन से फिर बेंच पर बैठ गईl ”आंटी मैं आपको हर रोज आईसीयू के बाहर देखती हूं आपका कौन रिश्ता बीमार है” कहते हुए एक प्यारी सी लड़की मेरे पास आकर बैठ गईl रिश्तेदार मेरा मन उसके पूछे प्रश्न का मूल्यांकन करने लगाl अंदर कमरे में वह बूढ़ा व्यक्ति मेरे पिता, मेरे जन्मदाता, मेरे पिताजी……l जिनके कारण आज मेरा अस्तित्व हैl उनका व्यक्तित्व क्या इतने छोटे से शब्द में सिमट गया हैl ”हां बेटा अंदर मेरे पिताजी हैं और वह अपने जीवन की अंतिम घड़ियां गिन रहे हैं ” कहते-कहते में अचानक एक छोटी सी बच्ची के सामने रोने लगीl वह अनजान लड़की मुझे बहुत देर तक संभालती रहीl आंटी आप पानी पी लीजिए कहते हुए उसने मुझे अपनी पानी दियाl कुछ देर बाद मैंने अपने आप को संभाल लियाl

आईसीयू के बेंच के पास कोने में खिड़की थीl मैं उसे खिड़की के पास खड़े होकर बाहर देखने लगीl पास ही खेल के मैदान में एक पिता और पुत्री खेल रहे थेl बेटी की उम्र 4 से 5 साल के बीच थीl कभी वह अपने पिता के कंधों पर बैठी, कभी नाराज हो जाती तो कभी जोर-जोर से हंसने लग जातीl उन बाप-बेटी को एक साथ देख, मैं भी अपने बचपन की यादों में खो गई, जब पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने गए थे, तो मैं उनका हाथ ही नहीं छोड़ रही थी, वह मुझे मेरी कक्षा तक ले गए और मुझे आश्वासन दिया कि मैं बाहर ही बैठा हूं, तुम चिंता मत करना और मैं खुशी से अपनी कक्षा में चली गई, उनका वह आश्वासन मेरे लिए एक मजबूत रक्षा कवच का काम करता था, छुट्टी होने पर बाहर आकर मेरी आंखें सबसे पहले उनको ही ढूंढते और उनको वहां देखकर मैं उनकी गोद में ख़ुशी चढ़ जाती l

आज वही पिताजी अपने जीवन की अंतिम घड़ियां गिर रहे हैं और मैं उन्हें वही आश्वासन दे रही हूंl इस बात से उनकी बुझाती हुई आंखों में मुझे रोशनी की किरण दिखाई देती हैl शायद यही वाक्य उनके लिए भी एक रक्षा कवच का काम करेगा या नहीं, यह मैं तो नहीं जानतीl पर उनके मन में जरूर इस बात की कुछ की तो खुशी होती होगी कि मेरी बेटी मेरे पास ही हैl

वक्त का पहिया कितनी तेजी से चलता है और आज मैं दो बच्चों की मां हूंl परंतु इस समय मन यही कह रहा है कि मैं समय को वापस मोड़ दूं और खुद मैदान में खेलती हुई उसे छोटी सी बच्ची के समान छोटी हो जाऊं और अपने पिता को अपने आप से कभी भी दूर न होने दूl पर यह मेरे बस की बात नहीं, इतने में गार्ड ने मेरा नाम पुकारा और मैं घबराई हुई अंदर भागिl बिस्तर पर पिताजी आंखें बंद किए लेटे थेl डॉक्टर है मुझे बताया कि अचानक पिताजी को दिल का दौरा पड़ा है और वह इस दुनिया से जा चुके हैंl यह सुनकर मुझे एकदम से झटका लगा और एक पल तो मुझे समझ ही नहीं आया कि वह क्या कह रहे हैंl आसपास सब कुछ तेजी से घूम रहा थाl दूर एक छोटी सी लड़की अपने पिता के पीछे भाग रही है, उन्हें आवाज लगा रही हैl वह अपने पिताजी को पकड़ना चाहती है, पर पिताजी तेज कदमों से चलते हुए दूर जाते जा रहे हैं और उनका फैसला बढ़ता जा रहा हैl और वह उसे बच्चों की आंखों से ओझल हो जाते हैं और वह बच्ची हताश होकर जमीन पर बैठ जाती हैl अचानक मेरे बच्चों ने मेरे गिरते शरीर को थमा तो मैं वर्तमान में वापस आईl ”मम्मी अपने आप को संभालिए नाना जी जा चुके हैं” कहते हुए मेरे गले लगकर होने लगे और फिर मैं मां की तरह उन्हें समझने लगीl

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Image by Freepik

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