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बच्चों के लिए मजेदार प्रेरक और जंगल की कहानी | Best stories for school children

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स्वाभिमान

बंगाल के एक विद्यालय में देशभक्त मास्टर राजेश अध्यापक थे । वार्षिक परीक्षा में जिस कक्षा में उनकी ड्यूटी लगी थी वहां विद्यालय के प्रिंसिपल का बेटा भी परीक्षा दे रहा था । मास्टर राजेश ने निरीक्षण के दौरान देखा कि वह नकल कर रहा है ।

उन्होंने उसे पड़कर फटकार लगाई । उसने अपना विशेष परिचय दिया लेकिन मास्टर राजेश ने उसकी एक न सुनी। परिणाम यह हुआ की प्रिंसिपल का बेटा फेल हो गया । स्कूल के प्रिंसिपल की और से राजेश को बुलाया आया ।

वह ऑफिस में हाजिर हुए । प्रिंसिपल ने उनका स्वागत करते हुए कहा: यह जाकर मुझे खुशी हुई है कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए मेरे बेटे को भी कोई छूट नहीं दी । अगर आप उसे नकल करने का मौका देते तो मैं आपको बर्खास्त कर देता ।

जवाब में मास्टर राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा सर आप यदि मुझे अपने बेटे को नकल की छूट देने के लिए मजबूर करते तो मैं भी नौकरी से त्यागपत्र दे देता । जो मैंने आने से पहले अपनी जेब में रख लिया था ।

तो बच्चों आपको इस कहानी से शिक्षा मिलती है की सबसे प्रिय हमें अपना स्वाभिमान होना चाहिए ।

बंदर और चिड़िया

एक जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था । उस पेड़ पर एक चिड़िया अपने बच्चों के साथ रहती थी । उसी पर एक बंदर भी रहता था । बंदर कुछ नहीं करता था बस सारा दिन खेलना कूदना, जो जहां मिला वही खा लेना और मस्ती करना। जबकि चिड़िया सुबह जाती थी और अपने और अपने बच्चों के लिए खाना लेकर आती थी और शाम को अपने घोंसले में बैठकर खाती थी ।

थोड़े ही दिनों में बारिश होने वाली थी। चिड़िया धीरे-धीरे अपने घोसले को बड़ा बना रही थी ताकि बारिश में चिड़िया और उसके बच्चे आराम से घोसले में रह सके। बंदर चिड़िया को इतना काम करते देख उसकी हंसी उड़ाता था और कहता था कल किसने देखा है। मजे से आज में जियो!

कुछ दिनों बाद बारिश होने लगी, चिड़िया अपने बच्चों को लेकर अपने घोंसले में बैठ गई और बंदर बैठा बारिश में भीग रहा था और ठंड से सिकुड़ रहा था। बंदर के पास अब खाने के लिए कुछ नहीं था और ना ही आराम से बैठने के लिए कोई जगह जहां बंदर बारिश से बच सके।

चिड़िया भी बंदर को देख हंसने लगी कहने लगी अगर तुमने मेरे साथ काम कर लिया होता तो आज तुम बारिश में ना भीगते। बंदर को यह देख बहुत तेज गुस्सा आया उसने चिड़िया का घोंसला तोड़ने की कोशिश की और पेड़ को हिलाने लगा। चिड़िया और उसके बच्चे नीचे गिर पड़े यह देखकर चिड़िया रोने लगी और बोली मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो तुम जो तुम ऐसा कर रहे हो।

चिड़िया ने घोंसला वैसे ही मजबूत बनाया हुआ था क्योंकि चिड़िया को मालूम था कि बंदर घोसला तोड़ेगा। बंदर से घोंसला नहीं टूटा, फिर चिड़िया से माफी मांगने लगा चिड़िया को दया आ गई और उसने बंदर को घोसले में रहने के लिए जगह दे दी।

तो बच्चों आपको इस कहानी से शिक्षा मिलती है की बेवकूफ आदमी को समझाने से अच्छा है अपने काम पर ध्यान देना बेवकूफ आदमी हमेशा बेवकूफी ही करता है।

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