जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी |Best Motivational Story

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जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी |Best Motivational Story

खुशी के पल की तलाश:

सुनील एक बेहद नेक दिल न्यूजपेपर डिलीवरी बॉय था। हर सुबह ठीक 7:00 बजे वह घर-घर जाकर सबके घर में समाचार पत्र देता था। और फिर अपने घर लौटकर कॉलेज जाने की तैयारी करता था। एक दिन जब सुनील पेपर डिलीवर कर रहा था तो उसने एक अजीब दृश्य देखा, एक फ्लैट के दरवाजे पर लगे मेल बॉक्स को किसी ने टेप लगाकर बंद कर रखा था।

यह कपूर अंकल के फ्लैट का मेल बॉक्स था। सुनील चिंतित हो गया। कपूर अंकल से उसकी मुलाकात कुछ दिनों पहले ही हुई थी। जब उन्होंने सुनील से रोज अखबार डालने की बात कही थी। अंकल बहुत बूढ़े और कमजोर थे। सुनील ने दरवाजे पर दस्तक दी, अंकल ने कांपते हाथों से दरवाजा खोलते हुए कहा “आ गए बेटा मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था” राहुल ने कहा: अंकल देखिए किसी ने आपका मेल बॉक्स ब्लॉक कर दिया है।

यह सुनकर अंकल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया “किसी ने नहीं बल्कि खुद मैंने जानबूझकर अपना मेल बॉक्स बंद करवाया है ताकि तुम उसमें अखबार डालकर चले ना जाओ और ना मेरा दरवाजा खटखटाओ।

मेरा तुमसे एक जरूरी काम है हैरान रहकर सुनील ने पूछा “जी अंकल बताइए”। अंकल ने कमजोर आवाज में सुनील से विनती की बेटा मैं चाहता हूं कि तुम हर दिन मेरे दरवाजे की घंटी बजा कर, दरवाजा खटखटाकर मेरे हाथों में अखबार धमाया करो। क्या मेरे लिए तुम इतना एहसान कर पाओगे। यह सुनकर सुनील पहले तो थोड़ा हैरान हुआ फिर तुरंत सिर हिलाते हुए बोला ओके अंकल, मैं कल से दरवाजा खटखटा कर या बेल बजाकर आपके हाथों में अखबार दिया करूंगा।

लेकिन बुरा ना माने तो क्या आप मुझे बताएंगे कि ऐसा आप क्यों चाहते हैं। कपूर अंकल के चेहरे पर उदासी छा गई। उन्होंने भारी आवाज में कहा “बेटा मेरी पत्नी का निधन 2 साल पहले हो गया” मेरा बेटा दूसरे देश में रहता है, उसे मुझे फोन पर भी बात करने की फुर्सत नहीं है और मैं यहां बिल्कुल अकेला हूं। सारा दिन घर में पड़े-पड़े मेरा दिल घबराता है न मेरे घर कोई आता है ना मैं कहीं जा पाता हूं। मेरा दिल बहुत दुखी है मुझसे मिलने के लिए कोई तो आए और मेरे घर का दरवाजा खटखटाई या घंटी बजाई और जब मैं दरवाजा खोलो तो कोई पहचान जाना पहचाना चेहरा मुस्कुराकर मेरा हाल पूछे।

बेटा तुम रोज मेरे घर की घंटी बजा कर मेरे हाथ में अखबार देना इसके लिए मैं तुम्हें हर महीने ₹500 एक्स्ट्रा दूंगा। कहते-कहते अंकल की आंखें भर आई। राहुल ने बूढ़े आदमी की धुंधली आंखों को देखा और उनके मन में बसे अकेलेपन को महसूस किया। अंकल ने कहा मेरी नज़रें कमजोर है मैं अखबार नहीं पड़ता लेकिन सिर्फ इसलिए खरीदता हूं ताकि कोई तो आए मेरे दरवाजे पर जिसे देखकर मैं खुश हो जाऊं।

यह सुनकर सुनील की आंखों में भी आंसू आंसू आ गए। उसने अंकल का हाथ पकड़ा और कहा मैं रोज आपसे मिलने आऊंगा और मुझे ₹500 एक्स्ट्रा नहीं चाहिए। आप मेरे पिता जैसे हो यह सुनकर कपूर अंकल ने सुनील को गले लगा लिया और फिर एक फोन नंबर देते हुए कहा बेटा किसी दिन अगर मैंने दरवाजा नहीं खोला तो पुलिस को बुला लेना और विदेश में रह रहे मेरे बेटे को भी फोन कर देना। कौन जानता है कि मेरा अंतिम समय कब आ जाए। उस दिन से कपूर अंकल और सुनील के बीच एक अनोखा संबंध बन गया।

हर सुबह में दरवाजा खटखटाकर अंकल की खैर खबर लेने लगा। इस घटना से राहुल समझ गया कि दुनिया में बहुत से बुजुर्ग अकेले और दुख से जीवन जी रहे हैं। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक मुहिम शुरू की कि वह घर-घर जाकर जो भी बूढ़े बुजुर्ग होंगे उनकी खैर खबर लेंगे और उन्हें व्हाट्सएप या एसएमएस करना सिखाएंगे। ताकि उन्हें जबरदस्ती अखबार खरीदना ना पड़े और वह रोज अपने परिचितों को सुबह-शाम गुड मॉर्निंग या गुड नाइट को का मैसेज भेजते रहें।

साथ ही उनके परिचितों को भी यह बता दिया जाए कि जिस दिन गुड मॉर्निंग या गुड नाइट का मैसेज ना आए तो अलर्ट होकर तुरंत खबर ले कि कहीं उनके बुजुर्ग को मदद की जरूरत तो नहीं। आज के डिजिटल युग में हम अपना थोड़ा सा समय इन बुजुर्गों को समर्पित करके उन्हें भी डिजिटल सुविधाओं द्वारा अपना अकेलापन दूर करने और सुरक्षित रहने के उपाय सीख सकते हैं।

कहानी से सीख: इस कहानी से है हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने बुजुर्गों का ख्याल रखना चाहिए। यह नहीं कि हम अपने काम में व्यस्त हो जाए और उनके बारे में सोचना ही छोड़ दें। हमें थोड़ा संवेदनशील भी होना पड़ेगा।

आपको यह कहानी कैसी लगी हमें बताइएगा जरूर। कमेंट करिए, धन्यवाद!

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